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Kavita Sharrma

Abstract

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हिन्दी और हिन्दुस्तान

हिन्दी और हिन्दुस्तान

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 हिंदी और हिन्दुस्तान एक दूजे के पूरक हैं

हिंदी भाषा से ही तो बनी हिंन्दुस्तान की सूरत है

हिंदी कितनी लंबी यात्रा तय करते हुए आई है 

सिंध प्रांत से गुजरती हुई हिंदी यहां तक आई है

पाली, प्राकृत, अवधी, ब्रज हिंदी के कितने रूप

सब में हिंदी का दिखता रहा नया स्वरूप

सभी भाषाओं के शब्दों को इसने गले लगाया

उर्दू फारसी, अब अंग्रेजी को भी अपना मित्र बनाया

बड़ा दिल रखती है हिंदी सबको स्वीकार है करती

अन्य भाषाओं में यह सुविधा नहीं दिखती

हिंन्दुस्तान भी देश है ऐसा जिसने सब धर्मों को अपनाया

सबने यहां पर समान सम्मान पाया है

तभी तो हिंदी में भी यही गुण जन्म से ही आया है

हिन्दी और हिन्दुस्तान तभी तो इक दूजे के पूरक हैं 


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