मेरी आंखों के सामने
मेरी आंखों के सामने
मेरी आंखों के सामने उजड़ रही है दुनिया मेरी।
चाह कर भी रोक नहीं सकते, रोकती हैं मुझे मजबूरियां मेरी।
हर बार आशियां बनाते क्यूं है, तुफानों के दायरे में।
तिनका तिनका उड़ा कर ले जाती हैं ख्वाहिशों का ये आंधियां मेरी।
एक तेरा अहसास है, जो मुझे मरने नहीं देगा कभी।
ऐ साहिब, एक तेरी यादें हैं जो बन रही है जहर की पुड़ियां मेरी।
संभाल कर रखना न आया अपने ख्वाबों के महल को
पता न चला कब कैसे गिर गई दिवारें और लुट गई अशर्फियां मेरी।