मेरा नमन
मेरा नमन
कई साल ऐसे ही बीत गए
फिर भी वो लम्हे याद है
बचपन की उन बातों में
न जाने ऐसे कितने कहानियां हैं
बचपन गुज़री जवानी देखा
फिर भी उनका साथ है
माँ बाप कभी जब छूट गए
तो सर पर उनका ही तो हाथ है
बिगड़े कदम जब भी डगमगाने लगे
थाम लिया मेरे हाथों को
कुछ न कहे कर भी
समझने लगे वो मेरे जज़्बातों को
दिल में इज़्ज़त लब पे दुआ
ये लेकर और जायें कहाँ
आप की दी हुई सीख से ही
है अपना छोटा सा जहाँ
अश्कों में हैं यादें आपकी
ये कैसा है सज़ा
अक्सर पुरानी यादों में
जीने का था कुछ और मज़ा
बदला ज़िन्दगी न बदली वो सूरत
आज भी मुझे वो याद है
उन धुंधली यादों में
छिपा कहीं न कहीं आप का प्यार है