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Ezaz Hussain

Romance

4  

Ezaz Hussain

Romance

सच

सच

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सच को कभी जो सोचा हमने

सच ही हमसे रूठ गया

पल भर बरसों के रिश्ते

ऐसे ही टूट गए।


दिल पर बिजली ऐसी चमकी

जैसे रात में तारे टीम टीम अये

तेरी यदुओं में रात गुज़री

ऐसी ही अब दिल बुलाये।


अब तो तसली देगा कौन

जब दिल में है आग लगी

रात न गुज़रा दिन भी गया

तेरी ही है जोग लगी।


वादों में वो बात कहाँ

जब हद से गुज़रने की चाहा थी

कभी पलकों के साये में

तेरे इश्क़ की रहा थी


देते दस्तक हर पल ऐसी

जैसे दिल में ठैराव नहीं

ऐसी मनन भी बहाने लगा

जैसे कोई नाव नहीं।


टूटे आशिअने में वो

जोड़ नहीं

फिर से जब वो मिल जायें

चेहरे में वो बात कहाँ

जो कलियों जैसे खिल जाये।


झुके दिल पर रोक नहीं

जो वक़्त के साथ ही झुक जाये !

इश्क़ बेदाग पानी जैसा

लाख मोडे ना रुक पाए !


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