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Ezaz Hussain

Drama Romance

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Ezaz Hussain

Drama Romance

चाहत

चाहत

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माशूक मेरे दिल के हमदम,


इशारों से क्या कहती हो।


आँखों में जो छुपे राज़,


आँसू से क्यों कहती हो।


हालत दिल की जो बयाँ न ज़ुबान से,


जज़्बात से क्यों कहती हो।


यूँ तो अक्सर तेरी चाहत,


फ़िज़ाओं में भी छलकती थी।


दूर विरानो में भी वह,


मुश्क बन कर महकती थी।


सिमट कर बाँहों में फिर कहना,


ये एक मिलने का ज़रिया था।


देखे हैं कई रंग मोहब्बत के,


मगर तेरी मोहब्बत एक दरिया था।


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