दो पल ख़ुद के लिए
दो पल ख़ुद के लिए
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जरा वक्त निकाल लिया करो जिंदगी की जद्दोजहद से
मिलते हैं ना कोई शाम किसी पहर कहीं दूर फुर्सत से
कुछ अपनी सुनाना कुछ हम अपनी सुनायेंगे
जिंदगी की उलझनें साथ मिलकर सुलझाएंगे
खुलकर दिल की बातें करेंगे
जिम्मेदारियों का बस्ता कंधे से उतार
अपने अंदर दबे बच्चे को बाहर आने देंगे
खुद को दुनियां की नज़र से नहीं देखेंगे
कोई क्या कहेगा ये भी नहीं सोचेंगे
उस पल हम ख़ुद को जिएंगे
कभी वक्त चुरा लाना थोड़ी सी चुपके से
हम कहीं खुले आसमान में मिलेंगे।