आखिरी मुलाकात/आख़िरी अल्फ़ाज़
आखिरी मुलाकात/आख़िरी अल्फ़ाज़


कुछ तुम कहो कुछ हम कहें
कुछ देर तलक हम साथ रहें
फिर जाते वक़्त तुम जरा मुस्कुरा देना
घर जाकर मेरे नाम की एक दीपक जला देना
फिर एक बार मुझे याद कर लेना
उस दीपक के पास अंधेरा होगा और
चारो तरफ उजाला दे रहा होगा वो दीपक,
मेरी जिन्दगी कुछ ऐसी ही रही,
कोई चेहरे की झूठी मुस्कुराहट भाप ना सका
दर्द की गहराई क्या थी कोई नाप न सका
वैसे तो हर रिश्ता मैंने एक तरफा ही निभाया
जब अपनों की तलाश की तो सिर्फ तुम्हे ही पाया
कुछ चंद सांसे थामे हुए तुम्हे अपनी कहानी बता रहा हूं
खयाल रखना अपना मै दुनिया छोड़े जा रहा हूं!