खेल होली का
खेल होली का
कन्हैया खेलत हैं होली
बृज में गोपियों के संग
केसरिया टेसू का जल
पिचकारी से मारा रंग
कन्हैया खेलत हैं होली
फाग ये सुंदर, मस्त हैं सब
राधा रानी अभी आई नहीं
पिछले बरस का खेल यहां
गत हुई क्या बिसराई नहीं
कन्हैया खेलत हैं होली
टोली लेकर चला है कान्हा
वृंद कुमारी के घर को
दौड़ी उसकी सहेली फिर
पहुंचाने इसी खबर को
कन्हैया खेलत हैं होली
पर इच्छा उनकी भी थी
फाग कन्हैया संग खेलूं
घर में जो रंग का टब है
होली की मस्ती ले लूं
कन्हैया खेलत हैं होली
फिर होली पर रास रचा
चारों तरफ बरसा गुलाल
राधा संग कान्हा नाच रहे
खेल खेल में मचा धमाल
कन्हैया खेलत हैं होली
ऐसा होली का मस्त खेल
जीयरा उछाह सबन का
राधा कृष्णा के रूप में
संदेश गहरा है जीवन का
कन्हैया खेलत हैं होली।