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PRADYUMNA AROTHIYA

Romance

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PRADYUMNA AROTHIYA

Romance

जादू भरी आँखों वाली प्रद्युम्न अरोठिया

जादू भरी आँखों वाली प्रद्युम्न अरोठिया

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कॉलेज का वह पहला दिन था

जब उसे देखा !

आँखें उसकी झील सी गहरी

जिनमें मैंने खुद को डूबता देखा !!


हक़ीक़त की दुनियां थी मेरे सामने

मगर सपनों की दुनियां को देखा !

न चाहकर भी 

जादू भरी आँखों वाली को देखा !!


वो अगले मोड़ से मुड गई

मगर मैंने सुबह शाम उसका ख्याल देखा !

कुछ खोई खोई सी दुनियाँ थी मेरी

जब से उसकी जादू भरी आँखों को देखा !!


कल मिलेगी यह जानकर भी

बैचेनी को बढ़ते देखा !

रात को आँखों में सपन थे मगर

उन्हें खुली आँखों से चलचित्र सा देखा !!


अगली सुबह जब कॉलेज पहुँचा

आँखों ने बस उसी को तलाश करते देखा !

कॉलेज बंद होने तक वह कहीं नजर न आई

मायूसी को फिर एक बार बढ़ते देखा !!


उसके न होने से

एक ही पल में सब कुछ बिखरते देखा !

जिंदगी की एक और नई कहानी में

मैंने तमाशा खुद का देखा !!


कई दिन बीत गए

फिर भी एक उम्मीद को किसी कोने में जगते देखा !

वो मिल जाये किसी मोड़ पर

ख्यालातों का सफर चुपके चुपके चलते देखा !!


एक दिन कॉलेज से निकलते वक्त 

किसी ने पीछे से आवाज दी

और मैंने मुड़कर पीछे देखा !

मानो एक पल में

जैसे मैंने सब कुछ पा लिया हो

और किस्मत से

मैंने फिर जादू भरी आँखों वाली को देखा !!


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