अक्सर मेरी नींदों में क्या अब भी मुझे बुलाता है ! अक्सर मेरी नींदों में क्या अब भी मुझे बुलाता है !
ना थाह है ना ठिकाना बहते रहना मेरी कहानी ना थाह है ना ठिकाना बहते रहना मेरी कहानी
लक्ष्य स्थिर था पर मंजिल लापता। लक्ष्य स्थिर था पर मंजिल लापता।
इस मोह-माया के संसार से मुझे, है वो कौन ? बंधन सा। इस मोह-माया के संसार से मुझे, है वो कौन ? बंधन सा।
मैं मूढ़मति जन्म का पापी, जैसे "दिया" तेल बिन बाती। तेरे दरस को "नीरज" प्यासा ,अब तो प् मैं मूढ़मति जन्म का पापी, जैसे "दिया" तेल बिन बाती। तेरे दरस को "नीरज" प्यासा ...
चांदनी की तरह झरना चाहता है मेरा अशांत मन अब बस शांत रहना चाहता है। चांदनी की तरह झरना चाहता है मेरा अशांत मन अब बस शांत रहना चाहता है।