कुछ कहना है तुझसे
कुछ कहना है तुझसे
ऐ दिल कुछ कहना है तुझसे
वह सच में नहीं, पर सच है मेरा.
वो अस्तित्व में नहीं, पर एहसास है मेरा।
उसे न दूर जाने का डर है, न बेवफाई का खतरा
समाज के नियम नहीं, झूठे सच्चे वादे नहीं
न कोई रस्में, न साथ जीने मरने की कसमें।
झील के किनारे लगे बरगद के पेड़ के नीचे
शांति से सुस्ताते, मेरे भ्रम से मुझे इश्क़ हुआ है।
ऐ भ्रम तू है वही, जिसकी मूरत नहीं
यकीं है मुझे, तू छोड़ कहीं जायेगा नहीं।
जब थक जाऊं इन उलझनों से, तो तू सुलझाना मुझे
जब टूट के बिखर जाऊं, तो खुद में समेट लेना मुझे।
जब कोई न हो पास तो चल देना मेरे साथ
ले चल मुझे वहां जहाँ तू रहता है।
कई अनकहे किस्से जो कहने है तुझसे
कई सालों से सोयी नहीं, अब सोना है तुझमें।
अब तक कोई मिला नहीं ए भ्रम
अब मिलना है तुझमें।
उस झील के किनारे वाले बरगद के पेड़ के नीचे
सुकून से तेरे साथ बैठकर रोना है मुझे।
बस अब सोना है मुझे, बस अब सोना है मुझे।