दिखाई देता है
दिखाई देता है
कभी कभी तो अकेला दिखाई देता है
वो चाँद हो के भी आधा दिखाई देता है।
ये मन कभी सम्भलता कभी मचलता है
बहुत चला पर थोड़ा दिखाई देता है।
अभी तो दिल में उतर जाऊँ बिन बताएं ही
तू सामने से तो शीशा दिखाई देता है।
तलाश में मैं तो निकला हूँ ज़िन्दगी की अब
कभी बेवज़ह भी तो अच्छा दिखाई देता है।
गुजर होती न गुजारा "नीतू " बताओ तो
कोई हैं प्यार से प्यारा दिखाई देता है।
गिरह
ये दुनिया है करो इश्क़ पर भरोसा तो
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है।

