मुलाकात
मुलाकात
आपकी यूॅं मशरूफ़ी का आलम
कुछ इस क़दर सता रहा है
आपके थोड़े से प्यार का मोहताज
यह दिल पल पल तड़प रहा है
अपनी सालगिरह का कर के इंतज़ार
दिन पे दिन गुज़ारते रहता है
आपकी एक बधाई की नज़्म
पूरे बरस गुनगुनाते रहता है
आपकी दिलकश मुलाकातों की नींव
जीने का सहारा बना लिया है
हर वक्त तसव्वुर में दोहराकर
धड़कने का बहाना बना लिया है
आपसे रूबरू हो जाने से नज़र
जिंदगी से नज़रें चुराने लगती है
जिंदा रहने की लिए तब ऐ सनम
आपसे एक मुलाकात ज़रूरी लगती है।

