एक प्रेम गीत तुम्हें सुनाऊँ क्या?
एक प्रेम गीत तुम्हें सुनाऊँ क्या?
सावन में ख्वाबों कि बारिशें लेकर बैठा हूं,
तुम प्रीत कि बारिश में भीगोगी तो,
बारिश कि बुंदों को प्रीत का संगीत बनाऊँ क्या?
अगर हैं इजाजत तो,
तुम पर लिखा एक प्रेम गीत तुम्हें सुनाऊँ क्या?
चातक कि तरह आस लगाये बैठा हूं,
तुम बारिश कि बुंदे बनकर बरसोगी तो,
मिट्टी बनकर तुम्हें मुझ में समाऊँ क्या?
अगर है इजाजत तो,
तुम पर लिखा एक प्रेम गीत तुम्हें सुनाऊँ क्या?
ठंड हवाओं में तुम्हारी यादों के झुले पर बैठा हूं,
तुम करीब बैठ कर गर्म सांसो का मर्म दो तो,
सप्त रंगो का झुला झुलाऊँ क्या?
अगर हैं इजाजत तो,
तुम पर लिखा एक प्रेम गीत तुम्हें सुनाऊँ क्या?