कुछ तो वज़ह होगी ना
कुछ तो वज़ह होगी ना
हमारा मिलना कुछ तो वजह होगी ना
यूं ही बेवजह तो नहीं मिले होंगे ना
तुम्हारा मुझे पुकारना और आवाज का गूंजना
कुछ तो साज़िश जरूर होगी ना
हमारा मिलना कुछ तो वजह होगी ना
इन आंखों का एक दूसरे को ढूंढ़ना
तुम्हारा सरेआम नैन लड़ाना
मेरी आंखों में खुद को ढूंढना
कुछ तो वजह होगी ना
उस मोड़ पर तुम्हारा पीछे मुड़कर देखना
देखकर यूं ही मुस्कुराना, और पल में छिप जाना
पल भर के लिए मेरी साँसो का तेज होना
कुछ तो वजह होगी ना

