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Sanket Yadav

Romance

4.0  

Sanket Yadav

Romance

आँखों से शुरु यह कहानी

आँखों से शुरु यह कहानी

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आँखों से शुरु येह कहानी

हर रोज एक नया अध्याय लिख रही हैं

कागज कोरे हैं मगर

आँसूओ की शाहीसे किताबें भरी हैं


'तेरी आँखें देख पहली कविता लिखी थी मैंने

तेरा Reply भी आया था 'वाह वाह' करके

फिर तो और लिखना शुरु किया मैंने

Response मिल रहा हैं क्या बात हैं कहके


अब बातें भी कुछ अनबनी सी है

सब कुछ आधाअधुरा सा है

कहाथा नं तुमसे Block कर या Reply देने

फीर क्यू Message करा था तुमने

हर कविता तुम्हें ही दिखाना चाहता था


फिर भी हर बार क्यूँ पहला view दिया तुमने

यह शिकायत नहीं हैं तुमसे

शुरुवात से कहता रहा काजल लागये रखना

रिश्तों को नजर लगती है परायों की

पर एक बात नी मानना मेरी तुमने

तुम्हारे इस लेहेजेसे नाराज नहीं हूँ मैं

तुम अपनी जगह सही हो


तुम्हारी 'हाँ' या 'ना' इस बातसे भी गीला नही मुझे

मैं ही बिछडता रहा, दूरियां बढाते रहा मैं

सही समय वो बातें कह नहीं पाया,

बस इसी बात का मलाला है मुझे।


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