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BINAL PATEL

Romance

4  

BINAL PATEL

Romance

'मेरे जीवनसाथी'

'मेरे जीवनसाथी'

1 min
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 'कांच के टुकड़े सा बिखरा जीवन था, सूरज के साथ जग कर अँधेरे में खो जाते थे,

 पढाई के साथ काम करके अपने आपकी खोज में रोज सुबह से ही घर से निकल जाते थे

 प्यार और महोब्बत एक सच्चे जीवन साथी की तलाश से ही पूरे हो सकते थे,

 अपने सिद्धांतो पर चल कर ही आगे बढ़ने वाले हम, एक सही जीवन-साथी की तलाश में थे,

 परिवार के कुछ सदस्य ईश्वर के आशीर्वाद से वो रिश्ता लेकर आये थे,

 सात-समुन्दर पार ही था मेरा दूल्हा, हम बस फोन पर ही मिला करते थे,

 काफी मुश्किलों के बाद हम मिले और पति-पत्नी के रूप में आयने के सामने खड़े थे,

 आज भी वो दिन याद करके हम मुस्कुराते हैं, एक दूसरे को वही मान-सम्मान देते हैं,

 प्यार तो ईश्वरने वरदान में दिया है, उसे हम रोज़ प्रणाम कर के ही घर से निकलते हैं,

 तकलीफ तो नहीं कह सकते, पर जीवन के उतार-चढ़ाव आज भी उतने ही है,

 'हम कर लेंगे, ईश्वर हमारे साथ है,' एक दूसरे को रोज़ यह बात कहते हैं,

 पहला प्यार ईश्वर से किया और उसी ईश्वरने उसके भक्त को मेरा प्यार बनके भेजा है,

 जहाँ नीति, सच्चाई, मान-सम्मान और ढेर सारा प्यार है, वहाँ एक अलग ही आनंद है। '



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