'देश का पंछी'
'देश का पंछी'
'मैं एक परदेशी पंछी, उड़ कर नया घोसला बनाया है,
उसमें पुरानी यादों का बक्सा मैंने दिल में छुपाया है,
नई सुबह के साथ एक नया सफर शुरू हो गया है,
देश की मिट्टी की खुशबू आज भी बरक़रार है,
भागते जीवन का सफर यहाँ खूब मज़ेदार है,
दिल में मान-सम्मान और देशभक्ति आज भी उतनी ही है,
वक़्त और जगह बस बदले है, आज भी वो मेरी जन्मभूमि ही है,
इस कर्म भूमि से भी प्यार है; 'भारत माँ' पे अटूट विश्वास है,
परदेश में वक़्त का पहिया बड़ी तेज़ी से घूमता है,
लेकिन मेरा परिवार आज भी देश की मिट्टी से जुड़ा है।