STORYMIRROR

राहुल अलीगढ़ी

Abstract

4  

राहुल अलीगढ़ी

Abstract

माँ चली गई

माँ चली गई

1 min
263

मेरे ज़िस्म से आज, रूह अलग हो गई।

मेरी माँ मुझ से रूठ कर, बहुत दूर हो गई।।


जिसने अपने हाथों से मुझको खाना खिलाया,

अब हमेशा के लिए छूट गया, मेरी माँ का साया।।


अंतिम सांस तक भी, न जाने कितने दर्द सह रही थी,

तुम खुश रहो सदा, वो जाते जाते भी कह रही थी।।


हरे परिवार में अब, माँ की छांव के लिए तरस गया हूँ,

पेड़ से टूटे हुए पत्तों का की तरह, आज बिखर गया हूँ।।


এই বিষয়বস্তু রেট
প্রবেশ করুন

Similar hindi poem from Abstract