राहुल अलीगढ़ी

Abstract

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राहुल अलीगढ़ी

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रंग लगाना ना सखी

रंग लगाना ना सखी

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इस होली इक दूजे को,

रंग लगाना ना सखी।

रंग बदलते लोग यहाँ पर,

नैन मिलाना ना सखी।।


रंग बिरंगी दुनिया में बहती,

काले मन की धारा है।

रंग बदलती नदिया में

बह मत जाना ना सखी।।


कुछ लोगों की नीयत काली,

कुछ लोगों के मन काले हैं।

जिन लोगों का दिल मैला हो,

उनका कहीं ठिकाना ना सखी।।


कुछ तो दिल से चाहते हैं,

कुछ लोग दिखावा करते हैं।

जिन लोगों से दिल जुड़ जाए,

उनसे दूरी बनाना ना सखी।


मेरी बातें दिल से सुनकर

इतना इठलाना ना सखी।।

रंग बदलते लोग यहाँ पर,

नैन मिलाना ना सखी।।


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