लम्हे जिंदगी के
लम्हे जिंदगी के
मैंने सीखा है यहाँ, सलीका बंदगी का,
मैंने जिया है यहाँ, हर लम्हा जिंदगी का।
खेल-कूद बचपन के सारे,
स्कूल के वो दिन पुराने,
पापा की डांट और टीचर का चांटा,
पैर में चुभा वो छोटा सा कांटा,
मैंने सीखा है यहाँ, चलन जिंदगी का,
मैंने जिया है यहाँ, हर लम्हा जिंदगी का।
वो दादी के किस्से, परियों की कहानी,
वो कागज की कश्ती, नदियों का पानी,
धीरे धीरे जा रहा था, बचपन पुराना,
धीरे धीरे आ रहा था अपना जमाना।
मुझे मिला है यहाँ, शज़र जिंदगी का, (वृक्ष)
मैंने जिया है यहाँ, हर लम्हा जिंदगी का।
वो कॉलेज के केन्टीन की बातें सुहानी,
वो दोस्तों के साथ देखी, पिक्चर पुरानी।
वो जवानी के जोश में, आसमा को छूना,
बिना सोचे समझे, आवारा सा घूमना।
मुझे मिला है यहाँ, सबक जिंदगी का,
मैंने जिया है यहाँ, हर लम्हा जिंदगी का।
न जाने कब, वो मेरी जिंदगी में आ गई,
धीरे धीरे ही सही, मेरी जिंदगी बना गई।
न जाने उस पर क्या हुआ असर मेरा,
धीरे धीरे बन गया वो रहबर मेरा। (राह दिखाने वाला)
मुझे मिला है यहाँ, साथ संगिनी का,
मैंने जिया है यहाँ, हर लम्हा जिंदगी का।
मैंने सीखा है यहाँ, सलीका बंदगी का,
मैंने जिया है यहाँ, हर लम्हा जिंदगी का।