STORYMIRROR

Dr Mahima Singh

Romance

4  

Dr Mahima Singh

Romance

समुंदर

समुंदर

1 min
434

समंदर मचलता

 भी खुद है, 

और शांत भी 

खुद ही होता है। 


है बात यह बहुत ही 

खास मगर आम सी

वो लोग जो यह 

कहते हैं कि उन्हें 

समंदर में तैरने

 का हुनर मालूम है,

 भरी दुपहरी में

 झूठ बोलने का

 शौक पाले बैठे हैं।


समुंदर में कौन 

कब तैर पाया है 

हैं उसकी अपनी अदा जो

उसे खुद ही नहीं पता 

की कितनी गहरी

उसके ह्रदय की

गहराइयां।


रखता है कितना

 कुछ सहेज के 

ह्रदय में।

थाह लगा ले कोई 

यह मुमकिन ही नहीं।

हैं ये अदा निराली

नहीं हर एक के बस की।


तुम्हें नहीं आना था

 तो अपनी यादों 

को ही भेज देते।

कुछ बेचैनी तो 

कम होती सारी 

रात जागने की। 

बैठे रहे इंतजार 

में पलकें खुली लिए 

ख्वाब आते भी 

तो कैसे आते।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance