मेरे जीने की वजह .....
मेरे जीने की वजह .....
तेरे दिल की आवाज मुझको हर पल अपने करीब बुलाती है,
तुझसे दूर होने की हर कोशिश मेरी बेकार हो जाती है,
जितना दूर होते है हम तुझसे उतने ही और करीब हो जाते है,
चाह कर भी हम तुझसे कभी जुदा हो नहीं पाते,
ये कैसा बन्धन है ये कैसा रिश्ता है जो तोड़ना चाहें भी तो टूटता नहीं,
धीरे धीरे से ही सही वो मेरे दिल में यूं बस गया है कि जैसे सदियों से उससे कोई पहचान है,
उसके एहसास उसकी ख्वाहिशें सब हम को बिना कहे ही ज्ञात हो जाती है,
मेरे जिस्म का वो हिस्सा बन गया है जो हर पल साथ रहेगा मेरे,
एक पल भी जुदा होकर उससे रह नहीं पाते,
चाह कर भी हम उससे रिश्ता तोड़ नहीं पाते,
मेरे जीने की वजह बन गया है वो मेरा महबूब खूब है वो,
मेरे दिल की हर ध
ड़कन उसका नाम पुकारती है,
उसकी एक आवाज़ पर दौड़ कर उसके करीब चली जाती हूँ मैं,
जब भी मैं पुकारती हूँ वो मेरे करीब होता है,
प्यार हमारा है सच्चा फिर क्यों उसको खोने का डर हर पल सताता है,
मिलकर उससे हम जुदा ना हो जाये ये डर हमको रुलाता है,
आँसुओं को अपने हम हर पल छुपा लेते है,
जब भी मिलते है उससे हर डर पर आपने काबू पा लेते है,
मेरे हंसी के पीछे का दर्द वो जान लेता है,
मुझको हँसाने की लाख कोशिशें वो करता है फिर,
प्यार हमारा साथ हमारा ये जमाने को रास ना आये शायद,
इसलिए प्यार हमारा हमने रखा जमाने से छिपा कर,
जिस रोज ज़माने को खबर होगी ना जाने क्या अंजाम होगा,
मिलेंगे या जुदा होंगे ये रब ही जानता होगा ।