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SHAKTI RAO MANI

Abstract Romance

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SHAKTI RAO MANI

Abstract Romance

वो तो इंकार कर गए

वो तो इंकार कर गए

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मैं कर बैठा मोहब्बत उस रास्ते से,

उन गलियों से

यूं तो दीवारें कभी नापी ना थी

उफान पर था दिल

शायद इसलिए पार कर गए।


लहजा जल्दी उठने का भी न था

वो खटकती है अब तो,

मेरी सुबह अजान से,उसकी मुस्कान से

मान लिया था मैंने उसे अपना

इसलिए प्यार कर गए।


आज उसे कह दूँ, जो अजीज है

यूं तो दीवारें कभी नापी ना थी

इसलिए पार कर गए


मैं कर बैठा मोहब्बत

उस रास्ते से, उन गलियों से

वो तो इंकार कर गए।


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