वो बेटी ही तो है, जो हँसना सिखाती है.
वो बेटी ही तो है, जो हँसना सिखाती है.
वो बेटी ही तो है, जो हँसना सिखाती है,
चेहरे की मुस्कान पापा को भा जाती है,
लाडली होती है बेटियाँ
पिता के लिए, सम्मान यही दिलाती है,
घर किसी का भी हो सबको अपना बना लेती है,
वो बेटी ही तो है, जो हँसना सिखाती है.
बड़ी ही नाजुक होती है,
प्यार जताना और करना भी जानती है,
जिद्द ऐसी की हर बात मनवाती है,
समझ ऐसी की हर बात समझ जाती है,
तभी तो बापू की लाडली बेटी कहलाती है,
एक बार रो कर तो देखो संग साथ निभाती है,
वो बेटी ही तो है, जो हँसना सिखाती है.
दुनिया में नहीं, खुद में कामयाब होकर
अपनों को कामयाब बनाती है,
एक घर आती है दूसरे घर चली जाती है,
वो बेटी ही तो है, जो इतना सम्भालती है
बहुत मुसीबत में पड़ गया है
एक पिता सब साथ छोड़ गए,
एक वही तो है, जो साथ निभाती है,
बहुत मजबूत होती है बेटियाँ,
जो घरौंदा छोड़कर जाती है,
खुद तो रोती है, और बापू को चुप करा जाती है,
हमसफर के लिए एक नया जहान बनाती है,
बहुत नसीब वाली होती है वो बेटी जिसे एक बेटी मिल जाती है,
फिर कहानी उसी मोड़ से शुरु हो जाती है,
वो बेटी ही तो है, जो हँसना सिखाती है.
