निशानी ढूँढ रहा था
निशानी ढूँढ रहा था
जहाँ कुछ नही था वहाँ निशानी ढूँढ रहा था
रात का अंधेरा था और उजियारा ढूँढ रहा था
मौत के बहाने जिंदगी ढूँढ रहा था
सोया मैं कुछ इस कदर के कफन ढूँढ रहा था
सपनों में हकीकत और हकीकत में मोहब्बत ढूँढ रहा था
पढ़ सके जो मुझे वो झुकी नजरे ढूँढ रहा था
ताल्लुकात हुआ इश्क से और जमी पर आसमान ढूँढ रहा था
तजुरबा हुआ मुझे भी तब लिख रहा था
के झुकी नजरों में मोहब्बत ढूंढ रहा था
मोहब्बत में हकीकत और हकीकत में सपने ढूँढ रहा था
कफन साथ लाया था न उठने वाली निंद ढूँढ रहा था
जिंदगी जीने के बहाने मौत ढूँढ रहा था
दिन का उजियारा था और अंधेरा ढूँढ रहा था
जहां कुछ नहीं था वहाँ निशानी ढूँढ रहा था…..