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Sandeep kumar Tiwari

Romance Others

4  

Sandeep kumar Tiwari

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गयी नहीं किंतु याद तुम्हारी

गयी नहीं किंतु याद तुम्हारी

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सौ रजनी सी हर रजनी है 

हर एक दिन हर दिन पे भारी 

जब भी मेरा मन भरमाया 

हमने अपनी भूल सुधारी

लाख जतन हमने अपनाया

प्रिये, दूर हुआ ना तेरा साया

एक ही भूल में गयी ये उम्र हमारी,

प्रिये गयी नहीं किंतु याद तुम्हारी!


डाला हमने बाग़ में डेरा 

कलियों ने भी हमको घेरा 

बसंत से मैंने मित्रता जोड़ी

वहां भी पहुंची याद निगोड़ी

बहारों से हमने नेह लगाया 

पतझड़ ने पर खूब सताया

मेरी पीड़ा से भावुक हो गयी बारी,

प्रिये गयी नहीं किंतु याद तुम्हारी!


अगले जन्म में तुम न मिलना!

मिलो तो जीवनसाथी बनना। 

हम सुख-दुःख साथ बिताएंगे, 

पर हम दूर तो ना रह पाएंगे! 

नियति ही है की इस जीवन में, 

हम बंधे नहीं अपने बंधन में।

मिट तो गयी सब दुविधा हमारी,

प्रिये गयी नहीं किंतु याद तुम्हारी!



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