भूल न जाना आने को
भूल न जाना आने को
जाते हो परदेश सजन जी,
जाओ हम नहीं रोकेंगे।
मुझसे तेरा बिछड़ना असह्य,
फिर भी हम नहीं टोकेंगे।
किंतु याद रहे! कुछ नाते हैं,
जन्म-जन्मांतर निभाने को।
आए हमारी याद 'हे प्रियवर!
भूल न जाना आने को।
जाते ही तुम पाती लिखना,
अपनी सुधि बतला देना।
कब पहुंचे कहाँ ठहरे तुम,
अपनी जगह का पता देना।
मुझसे भी तुम सुधि पूछना,
सुधि मेरी बतलाने को।
आए हमारी याद 'हे प्रियवर!
भूल न जाना आने को।
विधि की कैसी रीत जगत में,
सब-के-सब निभाते हैं।
हृदय के भीतर बसनेवाले,
परदेशी हो जाते हैं।
सब कुछ देता हमें विधाता,
एक दिन फिर छीन जाने को।
आए हमारी याद 'हे प्रियवर!
भूल न जाना आने को।
है ज्ञात मुझे हर बात ये मेरी
आँखें कभी ना सोएंगी।
नित सुबह पनघट, चौराहे पर,
बाट तुम्हारी जोहेंगी।
चार पैसे रोटी की खातिर,
जाते तुम दूर कमाने को।
आए हमारी याद 'हे प्रियवर!
भूल न जाना आने को।
सावन में जब लगेंगे झूले,
सूखेगी मेरी अमराई।
मैं समझूंगी तुमको प्रियतम,
तनिक भी मेरी याद न आयी।
कोयल गई न तुमको बालम,
मेरा संदेश सुनाने को।
आए हमारी याद 'हे प्रियवर!
भूल न जाना आने को।
जब लेंगी यादें अंगड़ाई,
नैनों की नदियाँ सिसकेंगी।
बहेगी जब-जब पुरवाई,
तन-मन में तरंगें उठेंगी।
हो जाओ असमर्थ जब अपने-
यौवन को समझाने को।
आए हमारी याद 'हे प्रियवर!
भूल न जाना आने को।
