ग़ज़ल
ग़ज़ल
हम गरीबों की कहानी आप से मिलती नहीं
आपकी बातें जुबानी आप से मिलती नहीं
जग सुना है बोलतें हैं आपकी जागीर है
आपकी पर हर निशानी आपसे मिलती नहीं
आपके जहनों-ज़िया का मख़मली अंदाज़ है
हम गरीबों की जवानी आपसे मिलती नहीं
साल से घर आपका है आपने बस ये कहा
पर यहां चीजें पुरानी आपसे मिलती नहीं
आप जिससे खेलते वो हैं हमारी बेटियाँ
छोड़िये पगली दिवानी आपसे मिलती नहीं।
