पैसा राख में ढेर हो गया
पैसा राख में ढेर हो गया
कभी ज्ञान पर घमंड था
कभी पैसों पर रोब जमाया करता था
वह ऐसा भी वक्त था जिंदगी में
जब मैं खूब कमाया करता था
जो चाहूं वो चीज पास आ जाती
बस मुझे इशारा करना होता था
बाहर बॉडीगार्ड के साथ होता
घर में नौकर का साथ होता था
बच्चों ने ऐश किया मेरी दौलत पर
बीवी के भी नखरे हजार थे
लोगों के पैसों की कमी थी
और हम पैसों पर सवार थे
पर अब बीवी दुनिया में रही नहीं
धन दौलत तो बच्चों के नाम कर दिया
मैं जब खुद के पैसों का मोहताज हुआ
तो वृद्धा आश्रम को चल दिया
पैसा कब सर पर सवार होता गया
मुझे तो यह समझ ही नहीं आया
आज सोचता हूं तो लगता है कि
मैं किसी के भी काम नहीं आया
मैंने भूखे को खाना नहीं खिलाया
जरुरतमंद को खाली हाथ लौटाया है
कई लोगों की बद्दुआ ले चुका हूं
आज यही समझ में आया है
एक बार एक महिला मुझसे
बच्चे को बचाने की भीख मांग रही थी
घर की परिस्थितियां ठीक नहीं थी
इसलिए कुछ पैसे उधार मांग रहीं थीं
मेरा मन नहीं था उस वक्त
तो मैंने उसे इंकार कर दिया
बाद में पता चला कि
उसका बच्चा दुनिया छोड़कर चल दिया
मैंने अमीरों पर खूब पैसा लुटाया पर
एक गरीब को कंबल ना दिला पाया
कुछ दिनों बाद उसी गरीब को
दरवाजे पर दम तोड़ता हुआ पाया
दान पुण्य धर्म कर्म तो किया नहीं
समझ में आया तो देर हो गया
जिस पैसे को उम्र भर कमाता रहा
आज वही पैसा राख में ढेर हो गया।