STORYMIRROR

Jyoti Khari

Classics Inspirational

4  

Jyoti Khari

Classics Inspirational

माँ की परिभाषा मैं दूँ कैसे?

माँ की परिभाषा मैं दूँ कैसे?

2 mins
225

माँ की परिभाषा मैं दूँ कैसे ?

एक शब्द में कहूं माँ तो वो है,

स्वयं भगवान हों जैसे।

माँ सृजनकृता है, माँ विघ्नहर्ता है।

माँ तुलसी जैसी पवित्र है, माँ सबसे अच्छी मित्र है,


माँ जैसा दूजा न कोई चरित्र है।

माँ बच्चों की प्रतिपालक है, माँ जीवन की संचालक है।

माँ के बिना जीवन व्यर्थ है, संतान माँ के बिना असमर्थ है।

माँ रक्षक है, माँ जीवन की शिक्षक है,

माँ जीवन की पथ-प्रदर्शक है।


माँ सारथी है जीवन रथ का,

माँ मार्गदर्शक है हर पथ का।

माँ वेदना है, माँ करुणा है

माँ ही मेरी वन्दना है।

मां तो गंगाजल है, माँ खिलता हुआ कमल है।


माँ सफलता की कुंजी है, माँ सबसे बड़ी पूंजी है।

माँ रिश्तो की डोर है, बिन माँ तो रिश्ते कमजोर हैं।

माँ जैसा बहुमूल्य रिश्ता लोगों के पास है,

पाने की चाहत में इतने अंधे हो गए हैं, फिर भी वो उदास है।


ईश्वर को धन्यवाद करो, कि हमारी मां हमारे साथ है।

आज मैंने जो कुछ भी पाया है,

सर पर रहा हाथ सदा…

हर पल रहा साथ मेरी मां का साया है।

ज्योति वह शख्स है,

जिसमें दिखता उसकी माँ का अक्स है।


माँ हमारे लिए पैसे जोड़ती है,

माँ हमारी खुशी के लिए अपने सपनों तक को तोड़ती है।

माँ समर्पण-भाव से निभाती है अपना फर्ज़ ,

सात जन्मो तक भी ना उतरेगा उनका कर्ज़।

जो कहते हैं माँ मेरा तुमसे कोई वास्ता नहीं,


याद रखना इस पृथ्वी पर आने का माँ के अलावा दूजा कोई रास्ता नहीं।

जो आज भी अपनी मां से जुड़ा है,

वह माँ को कभी खुद से दूर ना करना

क्योंकि माँ के रूप में स्वयं मिला उन्हें खुदा है।

माँ बन कर रहती है मुसीबत में भी परछाई,

मेरा जो अस्तित्व है इसमें दिखती है मेरी माँ की सच्चाई।


माँ पूरी करती है हर ख्वाहिश,

लगाकर अपनी इच्छाओं पर बंदिश।

माँ तो खूबसूरत सा रास्ता है,

माँ तो सच में फरिश्ता है।


माँ भाव है, संवेदना है-

ह्दय है कोमल, गंभीर अभिव्यक्ति है,

माँ से चलती सम्पूर्ण सृष्टि है।

बच्चा सफ़ल हो जाए हर माँ की रहती बस एक ये ही अभिलाषा है,


माँ त्याग करती है अपना पूरा जीवन-

प्रत्येक माँ की ये ही परिभाषा…!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics