STORYMIRROR

Jyoti Khari

Abstract Romance Tragedy

4  

Jyoti Khari

Abstract Romance Tragedy

पीर आँसुओं संग बह रही है….!!!!

पीर आँसुओं संग बह रही है….!!!!

1 min
320

पीर आँसुओं संग बह रही है,

आज भी ज़िंदगी की शामें,

तुम्हारे इंतज़ार में तन्हा रह रही हैं…

कोई आके…

पढ़े इन आँखों को,

ये कितना कुछ कह रही हैं…

मृत्यु हृदय की तो उसी पल हो गयी थी,

लेकिन ये ज़िंदगी दर्द- ए- जुदाई का गम सह रही है…

जो दिलकश-

ख्वाबों का मकां था हमारा…

मुनाफ़िक-

हिला गया नींव…

देखो ये इमारत धीरे-धीरे ढह रही है…!!!!



સામગ્રીને રેટ આપો
લોગિન

Similar hindi poem from Abstract