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Jyoti Khari

Abstract

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Jyoti Khari

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तन्हाइयों से मिलना आ गया…!!!!

तन्हाइयों से मिलना आ गया…!!!!

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उनको यूँ रंग बदलना आ गया…

उम्र के उस पड़ाव पर,

जब हुआ तज़ुर्बा…

ज़िंदगी के वास्ते,

हमको फिर संभलना आ गया…

मोहब्बत में ठोकर खा- खाकर,

यहाँ रोती हुई-

ज़िंदगियों को भी ज़ख़्म सिलना आ गया…

हँसते हुए चेहरे की,

उदासी हम तुम्हें क्या बताएँ-

हमें अब तन्हाइयों से मिलना आ गया….!!!!!



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