STORYMIRROR

Sandeep kumar Tiwari

Others

3  

Sandeep kumar Tiwari

Others

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
171


खुद हीं खुद में अब कहाँ हूँ मैं 

जीते जीते मर चुका हूँ मैं 


खुद ही खुद का ही मैं हूँ कातिल

खुद की ज़ाया का गवाह हूँ मैं 


मुझसे पर्दा किस लिये क्यूँ है

तेरी आंगन की हवा हूँ मैं


ज़ख़्मों को खुद भर नहीं पाता

तुम तो कहते हो दवा हूँ मैं

 

जाने किसकी है दुआ 'बेघर'

खुद ही खुद में बददुआ हूँ मैं।


Rate this content
Log in