इश्क नहीं तुमसे
इश्क नहीं तुमसे
तुम्हें तो हरा रंग पसंद है,
फिर तुम मेरी पसंद के
नीले कपड़े क्यूं पहनते हो,
कहते हो "इश्क नहीं तुमसे"
फिर हिचकी आए तो
मेरा नाम क्यूं लेते हो...
जो मैं तेरी कुछ भी नही, तो
बात करने के बहाने हज़ार क्यूं
करते हो..
मैं कहीं भूल न जाऊं तुम को
इस डर में गिरफ्तार क्यूं रहते हो...
दिल कही लगता नहीं मेरे बैगर फिर भी
झूठलाने की खुद को,
कोशिश बेकार क्यूं करते हो....।