कुछ तो था ...
कुछ तो था ...
कुछ तो था जो तुम यूँ मुस्कुराते थे ,
मेरी हंसी देख तुम खिल से जाते थे ,
माना थोड़ी नादान थी मैं उस वक़्त ,
पर तुम मेरी हर तक़लीफ पहचान तो जाते थे ,
कुछ तो था जो तुम यूँ मुस्कुराते थे।
हर लम्हा तेरी नज़रे क्यों बस मुझे ढूंढा करती थी ,
दिखती थी मैं जो तुम्हे आँखों मे चमक तुम्हारे आ जाती थी ,
पास मेरे आने पर तुम शर्म से लाल हो जाते थे ,
सच बताओ तुम इतना क्यों शरमाते थे ,
कुछ तो था जो तुम यूँ नज़रे चुराते थे ,
कुछ तो था जो तुम यूँ मुस्कुराते थे।

