हाले -दिल
हाले -दिल
ना जाने क्या कहना चाहा मैंने
तुम बिन कहे समझती हो ना
ना जाने क्या चाहा मोहब्बत से मैंने
तुम बिन कहे महसूस करती हो ना।
तू मेरी मैं तेरा जब से हुआ
मेरे लबों पर मोहब्बत गुनगुनाने लगी
तेरे लबों पर आया जो मेरा नाम
हवा में मल्हार खुदबखुद बजने लगी।
मेरी आँखों में समा गया तेरा चेहरा
खुशनसीब खुद को समझने लगा
जब से उस चेहरे की आँखों ने
समा लिया खुद में मेरा चेहरा।
तुम हो बसी मुझमे मेरी जिंदगी बन
मेरी जिन्दगी की लय बनी है तुमसे
पकड़ लो मेरा हाथ मेरी रौशनी बन
मेरे जीवन की राह जाती होकर तुमसे।
मेरे दिल के काफिये से जो मिले काफिया
तुम्हारे दिल का तो, लफ्ज मुस्कुरा उठते हैं
गजल भी बे इन्तहा खूबसूरत हो जाती है
गीत भी तरन्नुम सरगम के गुनगुना लेते हैं।
मेरी फितरत भी अब तुझ सी हो गई है
चंद गीत गजल अब लिखने लग गई है
काफिया रदीफ सुर की समझ नहीं
दिल ही दिल का हाल बताने लग गई है।