रदिफ व काफिए मे बे बहर है ग़ज़ल तुई सुखनवरी तुई अशआर है साक़ी। रदिफ व काफिए मे बे बहर है ग़ज़ल तुई सुखनवरी तुई अशआर है साक़ी।
काफिया रदीफ सुर की समझ नहीं दिल ही दिल का हाल बताने लग गई है। काफिया रदीफ सुर की समझ नहीं दिल ही दिल का हाल बताने लग गई है।
प्यार बिछड़न तरपन ये सब तो कब का हुआ तो ऐसा क्यों लगता है जैसे ये सब आज हुआ ? प्यार बिछड़न तरपन ये सब तो कब का हुआ तो ऐसा क्यों लगता है जैसे ये सब आज हुआ ...
हम-दोनों किसी ग़ज़ल के रदीफ क़ाफिया हैं। हम-दोनों किसी ग़ज़ल के रदीफ क़ाफिया हैं।