अबके बरस
अबके बरस
अबके बरस जो आओगे तो सावन सूखा पाओगे
सूख चुके इन नयनों को तुम और भिंगा ना पाओगे
और अगर तुम ना आए प्यास ना दिल की बुझ पाए
पथराई नयनों सा फिर दिल पत्थर ना हो जाए
अबके बरस जो आओगे बसंत शुष्क सा पाओगे
मन के उजड़े बागीचे में एक फूल खिला ना पाओगे
और अगर तुम ना आए अटकी डाली ना गिर जाए
सूखे मुरझाए मन को मेरे पतझड़ ही ना भा जाए
अबके बरस जो आओगे सर्दी में तपते रह जाओगे
मगर गरम रज़ाई में मेरा एहसास ना पाओगे
और अगर तुम ना आए अंगीठी की आग ना लाए
सुखी लकड़ी की तरह कहीं ख्वाब ना मेरे जल जाए
अबके बरस जो आओगे दीवाली फिकी पाओगे
मेरे अँधियारे जीवन में कोई दीप जला ना पाओगे
और अगर तुम ना आए दीप ना संग में ला पाए
मेरे जीवन के अंतिम दिन वनवास में ही कट जाए
अबके बरस जो आओगे बेरंग सी होली पाओगे
चाहे रंग से भरे रहो तुम पर मेरा रंग ना पाओगे
और अगर तूम ना आए रंग ना मुझ में भर पाए
तेरी कोरी सी चुनर सा मेरा जीवन ना हो जाए।