STORYMIRROR

Rajni Chaurasiya

Abstract Others

3  

Rajni Chaurasiya

Abstract Others

आखरी पल

आखरी पल

1 min
278

किसी शायर ने मौत पर, क्या खूब कहा है

था मैं नींद में और, मुझे इतना सजाया जा रहा था

बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था

ना जाने, था वो कौन सा अजब खेल

मेरे घर में ... बच्चों की तरह मुझे

कंधों पर उठाया जा रहा था ...

था पास मेरा हर अपना, उस वक्त

फिर भी मैं हर किसी के, मन सें

भुलाया जा रहा था।।


जो कभी देखते, भी ना थे मोहब्बत की निगाहों से

उनके दिल से भी प्यार मुझ, पर लुटाया जा रहा था ...

कांप उठी, मेरी रूह वो मंजर देख कर 

जहां मुझे हमेशा के लिए, सुलाया जा रहा था ...

मोहब्बत की इंतहा थी जिन दिलों में, मेरे लिए

उन्हीं दिलों के हाथों, आज मैं जलाया जा रहा था !!!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract