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Swati Grover

Abstract Romance Fantasy

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Swati Grover

Abstract Romance Fantasy

नज़्म

नज़्म

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मैं रोज़ तुझे पढ़ने की

कोशिश करता हूँ

कुछ ऐसे पढ़ता हूँ कि

जैसे तेरी यह आँखें

ख्वाबों की खाक़ छानकर थककर

खामोश हो गई है


एक मुद्दत से तूने अपनी जुल्फों को

उलझनों से आजाद़ नहीं किया

किसी आरजू ने तेरे होंठों को

प्यासा रखा हुआ है

कभी यूँ लगता है

डूबता हुआ सूरज़ बाहर नहीं

तेरे अंदर डूब रहा है


तेरा चेहरा शाम का वो मंजर है,

जिसे मैं बिना थके, बिना रुके

देखना चाहता हूँ,

सोचना चाहता हूँ

मगर तू मेरी सोच में समा नहीं पाती

और यही बात मुझे परेशां करती है


काश ! तू मुझे अपने क़रीब 

आने का मौका तो दे

मैं वो वादा नहीं बनूँगा

जिसकी टूट ने तुझे तोड़ा हुआ है

कुछ कहना चाहता हूँ

सुनना चाहता हूँ


शायद तभी 

मैं कोशिश करता हूँ

हाँ, मैं कोशिश करता हूँ

पढ़ने की

तुझे पढ़ने की !


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