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Babita Jha

Abstract

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Babita Jha

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सफर

सफर

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फूल का जीवन चक्र देखा

मौसम के साथ बदलते देखा

पौधे में आये कली बनकर

खिली वह अठखेली बनकर

फिर समय का प्रहार आया।


               उस पर एक कहर है छाया

               आज उसे बिखरते देखा

               यही जीवन की काया

               फिर मौसम में बदलाव आया।


पौधे पर नन्ही कली की छाया

नन्ही नन्ही कली की छाया

चारों ओर नन्हे फूल खिल आये

जीवन में फिर बहार है छाये

समय का यही है माया।


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