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Babita Jha

Abstract

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Babita Jha

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बहारों का मौसम

बहारों का मौसम

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बहारों का मौसम है निराली

लग रहा चारों ओर खाली ही खाली

बीत रही ये शाम मतवाली

किसका इंतजार करें

ये मनवा मतवाली

हर आहट पर एक चाह ख्याली

क्या कहना मौसम की बदहाली

तुम बिन सुनी हर डाली

कब तक रहे ये सुकुमारी

जिसे पुकारे हर वक्त ये माली

कैसे कहूँ बहारों का मौसम है प्यारी

बहारों का मौसम है निराली!


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