STORYMIRROR

Babita Jha

Inspirational

3  

Babita Jha

Inspirational

तरंग

तरंग

1 min
441

मेरा मन समंदर है

जिसमें कई उछाले है

जिसमें कई तरंगें है

हर बार वह हिल्लोरे मारता है

वह सोचता कहीं ना कहीं किनारा है

               जीवन एक पानी की धारा है

               रूकना नहीं बह जाना है

               प्रबल वेग से बहना है

               एक दिन तो विराम मिलेगा

               जीवन को अंजाम मिलेगा

यही सोच आगे बढ़ना है

रूकना नहीं ना झुकना है

कब तक रूकावट आएगी

कितना मुझे सताएगी

कहीं ना कहीं किनारा है

प्रभु का एक सहारा है। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational