मैं रिझाऊंगा फिर
मैं रिझाऊंगा फिर
कितनी हसरत लिए
मैं भटकता रहा
कोई मिल जाएगा
कोई भा जाएगा
कुछ सुनेगा मेरी
कुछ सुनाएगा भी
थोड़ा हंस करके
मुझको हंसाएगा भी
होगी फिर से वही
बात अपनी अलग
अपने अंदाज में
मैं रिझाऊंगा फिर
मान जाएं अगर
अपना साथी मुझे
उनके संग में फिर
जीवन बिताऊंगा मैं
पर ये सपना न साकार
अब तक हुआ
जाने कैसे अब खुद को
मनाऊंगा मैं..।
मनाऊंगा मैं..।
