STORYMIRROR

Vijay Kanaujiya

Romance

3  

Vijay Kanaujiya

Romance

याद तुम्हें कर रो लेता हूँ

याद तुम्हें कर रो लेता हूँ

1 min
182


वही पुरानी पाती पढ़कर

अब भी खुद को समझाता हूँ

जो तुमने लिखकर भेजा था

वही देख फिर मुस्काता हूँ..।।


चिट्ठी में पुष्पों की कलियां

जो तुमने मुझको भेजा था

बड़े जतन से संजो रखा है

वही देख मन बहलाता हूँ..।।


बार-बार अब भी पढ़कर मैं

फिर यादों में खो जाता हूँ

शायद तुम हो आस-पास ही

यही सोच खुश हो जाता हूँ..।।


लिखे थे जो तुम गीत प्रेम के

आज भी गाकर सुन लेता हूँ

जब थोड़ा भावुक होता हूँ

याद तुम्हें कर रो लेता हूँ..।।


चलो यही पूंजी है मेरी

जब तक पास तुम्हारी पाती

इसी से है इस दिल को राहत

तभी तो तन्हा रह पाता हूँ..।।

तभी तो तन्हा रह पाता हूँ..।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance