STORYMIRROR

Vijay Kanaujiya

Abstract

3  

Vijay Kanaujiya

Abstract

सहमा हुआ हूँ मैं

सहमा हुआ हूँ मैं

1 min
154

परीक्षा प्रेम की इतनी

सहज होती नहीं शायद

सही परिणाम की आशा

की कोशिश में लगा हूँ मैं..।।


कभी उत्तीर्ण हो जाऊँ

यही है कामना मन की

तभी तो प्रेम पाठन में

हमेशा से लगा हूँ मैं..।।


प्रेम की हर विषय सूची

का अवलोकन जरूरी है

प्रेम की इस गणितीय सूत्र में

उलझा हुआ हूँ मैं..।।


ना जाने कितनी प्रेम की

परिभाषा लिख डाला

फिर भी प्रेम संदर्भ में

अटका हुआ हूँ मैं..।।


उत्तीर्ण और अनुउत्तीर्ण की

जद्दोजहद में मैं

निकलेगा क्या परिणाम अब

सहमा हुआ हूँ मैं..।।

सहमा हुआ हूँ मैं..।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract