STORYMIRROR

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance

ईश्क

ईश्क

1 min
343

जब इश्क़ में दिल तड़पता है तब,

दिल में गमगीनी छा जाती है, 

जब इश्क़ की प्यास बुझती है तब,

 इश्क़ का तराना बन जाता है।


जब दिल से दिल मिलता है तब,

इश्क़ की शहनाईयाँ बजती हैं,

जब मिलन मधुर बन जाता है तब,

इश्क़ की शायरी बन जाती है।


जब बांहों से बांहें मिलती है तब,

दिल की धड़कनें बढ जाती है,

जब सांसो की सरगम मिलती है तब,

 इश्क़ का नग्मा बन जाता है।


जब इश्क़ में दिल ड़ूब जाता है तब,

ज़ाम की प्याली छलक जाती है,

जब ज़ाम के नशे में झूमते है तब,

इश्क़ की कव्वाली बन जाती है।


जब सनम बेवफ़ा बन जाती है तब,

दिल में नफ़रत की आग लगती है,

"मुरली" इश्क़ में दिल जलता है तब,

 इश्क़ की गज़ल बन जाती है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance