एहसास (गजल)
एहसास (गजल)
रूठने के बाद मुझे मनाता भी बहुत है।
वो मेरा दोस्त है, मुझे याद आता भी बहुत है।
कभी कह देता है, खत्म हो चुका रिश्ता अब तेरा मेरा,
लेकिन जमाने में मुझे अपना बताता भी बहुत है।
रूठ जाता है, कभी कभी हद से ज्यादा,
लेकिन मनाने की रस्म को निभाता भी बहुत है।
जो रहता नहीं था एक पल भर भी मेरे सिवा,
वो आजकल मेरे से पीछा छुड़ाता भी बहुत है।
अक्सर तड़पा करता था मुझे देखने की खातिर,
अब न जाने वो नजरें चुराता भी बहुत है।
मुझे उदास देख कर निकल आते थे आंसू जिसके,
सुना है वो आजकल मुस्कराता भी बहुत है।
नहीं किया गिला कभी किसी से सुदर्शन,
सुना है दोस्त सच्चा आजमाता बहुत है।
नहीं भाईचारे से बड़ा रिश्ता किसी का,
लेकिन आजकल ये रिश्ता फिसल जाता बहुत है।

