Gulafshan Neyaz
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चले बसंती हवा सनन सनन
देखो पक्षी है मस्ती मे मगन,
धरती ने सिंगार किया
रंग बिरंगी चुनर लिया,
सज धज के तयार है
दिल में एक आस है,
किसानो के चेहरे पर मुस्कान है
बसंती हवा सबसे ख़ास है,
सरसों फूली राई फूला
बेर भी तैयार है!
सपनो की उड़ान
गुलाब और कांट...
माँ
वक़्त
गजल
स्त्री तेरी क...
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बुढ़ापा
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